मेरे सब्र का ना ले इम्तेहान।
मेरी ख़ामोशियो को सहारा न दे।
जिसे ढूंढे ये निगाहे ।
उन निगाहों को किनारे न दे।
जरा तकलीफ तो होगी उसे समजाने में।
जरा मोहब्बत भी होगी उसे मनाने में।दे
छोड़ दे उसकी खामोशियो से खेलना ।
कही रोती आंखों को इशारा न दे।
जो तेरे बगेर जी ना सके ।
उसे जीने की दुआ न दे।
मेरी खामोशियो को तू सहारा न दे…….2
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