चला जा रहा हु इन रास्तों मैं
पता नही कहा तक जाएंगे
कोशिश होती है ना लौटू इन रास्तों पर
हर रोज फिर इन्ही पर नजर आता हु मैं…….2
न है कोई साथिया मेरा
न कोई आरजू है अब
न ही कोई मंजिल है
न ही कोई रास्ता अब
फिर भी चला जाता हूं मैं
हमेशा इन्ही रास्तो पर
आंखे खोलू तो फिर वही नजर आता हूं मैं
जहाँ से चला था अपना वास्ता लेकर
उन्ही रास्तो पर फिर नजर आता हूं मै…..
हर रोज फिर वही नजर आता हूं में….2
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Yogendra Rajput